शिक्षा का अधिकार
रूपरेखा –
1- प्रस्तावना
2- परिचय
3- प्रमुख प्रावधान
4- निष्कर्ष
प्रस्तावना – किसी राष्ट्र का निर्माण मिट्टी, वृक्षों, कंकड़, पत्थर व चट्टानों से नहीं होता, बल्कि उस राष्ट्र में निवास करने वाले लोगों के चरित्र से होता है, और चरित्र का निर्माण अच्छी से अच्छी शिक्षा से होता है। कहने का आशय है कि शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं मानव जीवन के हर एक पक्ष में शिक्षा का अति महत्वपूर्ण योगदान होता है। शिक्षा है तो संभव है । जिस प्रकार शिक्षा के आगे अ जोड़ने पर अशिक्षा हो जाता है उसी प्रकार शिक्षा के अभाव में हर संभव कार्य संभव हो जाता है । वर्तमान समय में शिक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है जिससे प्रत्येक व्यक्ति का रूबरू होना आवश्यक है ।
परिचय – शिक्षा का अधिकार अधिनियम एक कानूनी अधिकार है। जो एक मौलिक अधिकार है । जिसका वर्णन संविधान के अनुच्छेद 21a के तहत किया गया है। इसमें कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा होगी। यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 को लागू हुआ इस अधिनियम के तहत कोई भी बच्चा अपने नजदीकी या किसी भी सरकारी स्कूल में 6 से 14 वर्ष तक बिना फीश दिए पड़ेगा, और उसके लिए किताबें ड्रेस दोपहर का भोजन आदि भी सरकार द्वारा व्यवस्था की जाएगी। यह अधिनियम कहता है कि प्रत्येक सरकार की यह जिम्मेदारी होगी कि वह हर बच्चे को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करें। ताकि प्रत्येक बच्चा निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा ग्रहण कर सकें और बच्चों को जो भी सुविधाएं दी जाएंगी विद्यालय में उन सुविधाओं का कोई भी शुल्क उनके माता-पिता से नहीं लिया जाएगा। उन सभी खर्चों की पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी ।
प्रमुख प्रावधान-शिक्षा का अधिकार अधिनियम के द्वारा सरकार को निर्देश दिए गए है, कि प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के एक किलोमीटर के अंदर प्राथमिक विद्यालय और तीन किलोमीटर के अन्दर माध्यमिक विद्यालय की सुविधा प्रदान करे।
- 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा दी जाएगी।
- विद्यालय हेतु सरकार बजट का निर्माण करे और उसे प्रभावी ढंग से लागू करे।
- निर्धारित दूरी पर विद्यालय न होने पर सरकार छात्रावास या वाहन की सुविधा प्रदान करे
- इस अधिनियम के अंतर्गत किसी भी बच्चे को मानसिक यातना या शारीरिक दंड नहीं दिया जा सकता।
- इसके प्रावधान के अंतर्गत कोई भी सरकारी शिक्षक/शिक्षिका निजी शिक्षण या निजी शिक्षण गतिविधि में सम्मिलित नहीं हो सकता।
- विद्यालय में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी अनिवार्य है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत विद्यालय में शिक्षक और छात्रों का अनुपात 1:30 होना चाहिए, इसमें प्रधानाचार्य के लिए अलग कमरा होने का प्रावधान किया गया है।
- बच्चे को कक्षा आठ तक की फेल नहीं किया जा सकता तथा शिक्षा पूरी करने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जा सकता है।
- किसी भी बच्चे को आवश्यक डॉक्यूमेंट की वजह से विद्यालय में प्रवेश देने से मना नहीं किया जा सकता है ।
- प्रवेश के लिए किसी भी बच्चे को प्रवेश परीक्षा देने के लिए नहीं कहा जाएगा।
इस अधिनियम के अंतर्गत, शिक्षा से सम्बंधित किसी भी शिकायत के निवारण के लिए ग्राम स्तर पर पंचायत, क्लस्टर स्तर पर क्लस्टर संसाधन केन्द्र (सीआरसी), तहसील स्तर पर तहसील पंचायत, जिला स्तर पर जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति करने की व्यवस्था की गयी है।
निष्कर्ष – गरीबी के चलते जहां गरीब वर्ग के लोग अपने बच्चों को बुनियादी शिक्षा भी प्रदान करवाने में असमर्थ थे। जिस कारण पिछड़ा वर्ग गरीब वर्ग हमेशा अपनी पिछड़ी और गरीबी वाली दशा से मुक्ति नहीं पा सका । इस बंधन से मुक्ति दिलाने का कार्य किया शिक्षा के अधिकार अधिनियम ने किया। इस अधिनियम के लागू होने के बाद देश के अधिकांश बच्चे बुनियादी शिक्षा ग्रहण कर पा रहे हैं। देश का अधिकांश नागरिक शिक्षित होने लगा 6 से 14 वर्ष तक निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा से देश के हर क्षेत्र के लोग शिक्षा से रूबरू हो गए। अंततः कहा जा सकता है कि इस अधिनियम ने शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाया।
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