फूलदेई त्यौहार क्या है ?
फूलों से घरों और मंदिर को रोशन और मंगलमय कर देने वाला त्योहार उत्तराखंड में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है । यह त्यौहार चैत्र माह ( मार्च – अप्रैल ) को मनाया जाता है । फूलदेई त्योहार का मुख्य उद्देश्य फूलों से घर और मंदिर को सुगंधमय और मंगलमय बनाना है ।
इस त्यौहार में बच्चे फूल चढ़ाकर भगवान को पसंद करते हैं । फूल चढ़ाने वाले बच्चों को फुलारी कहा जाता है। फ़ूलदेई त्योहार उत्तराखंड के लिए एक विशेष पारंपरिक त्यौहार है ।
इस त्यौहार को फूल चढ़ाने को गढ़वाल में फूल संग्राम तथा कुमाऊं में फूलदेई पर्व के नाम से जाना जाता है ।
क्या करते हैं इस दिन
इस त्यौहार के दिन बच्चे मंदिरों में फूल चढ़ाते हैं एवं घर के आसपास बगीचों को फूलों से सजाते हैं एवं भगवान को पसंद करते हैं ।
उत्तराखंड राज्य प्रकृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है । अपनी प्रकृति को सुगंधमयी बनाने के लिए phooldei फूलदेई त्योहार मनाया जाता है । इस त्यौहार को फुलदेई और फूल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है ।
कैसे मनाया जाता है फूलदेई
इस त्योहार के दिन गांव में बच्चे फूल तोड़ कर घरों के आगे देहरी को सजाते हैं एवं पूजन करते हैं ।
और साथ ही साथ रंग बिरंगे फूलों के साथ घर के दरवाजे को घरों को सजाते हैं । फूल संक्रांति अलौकिक सुंदरता का प्रतीक है । उत्तराखंड में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है ।
यह भी जाने …
कुमाऊं और गढ़वाल में चैत माह की शुरुआत में मनाया जाता है । हिंदू नव वर्ष की शुरुआत में मनाने का मुख्य कारण भगवान को फूल चढ़ाकर नई खेती और अच्छे पर्यावरण की कामना करते हैं।
पर्यावरण को हरा-भरा इन सुखद बनाने के लिए उत्तराखंड राज्य में यह फूलदेई त्योहार काफी प्रसिद्ध है । इसीलिए लोग इस त्यौहार को मना कर शुगंधमय भविष्य की कामना करते हैं।
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