बर्ड फ्लू (Bird Flu) क्या है?
बर्ड फ्लू जिसे एवियन इंफ्लूएंज़ा (Avian Influenza- AI) के रूप में भी जाना जाता है, एक अत्यधिक संक्रामक विषाणु/वायरस जनित बीमारी है जो भोजन के रूप में उपयोग होने वाले कई प्रकार की पक्षी प्रजातियों (मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी मुर्गी आदि) के साथ-साथ पालतू और जंगली पक्षियों को भी प्रभावित करती है।
मनुष्यों के साथ-साथ कभी-कभी स्तनधारी भी एवियन इंफ्लूएंज़ा के संपर्क में आ जाते हैं।

प्रकार:
इंफ्लूएंज़ा वायरस (Influenza Viruses) को तीन प्रकारों में बाँटा गया है; A, B व C और केवल A प्रकार का इंफ्लूएंज़ा वायरस ही जानवरों को संक्रमित करता है जो कि एक जूनोटिक वायरस है अर्थात् इसमें जानवरों और मनुष्यों दोनों को संक्रमित करने की क्षमता होती है। टाइप B और C ज़्यादातर मनुष्यों को संक्रमित करते हैं तथा ये केवल हल्के संक्रामक रोगों के कारक हैं।
वर्गीकरण:
इंफ्लूएंज़ा वायरस को इसमें पाई जाने वाली दोहरी प्रोटीन सतह, हेमग्लगुटिनिन (Hemagglutinin-HA) और न्यूरोमिनिडेस (Neuraminidase- NA) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिए एक वायरस जिसमें HA7 प्रोटीन और NA9 प्रोटीन होता है, उसे H7N9 के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
अत्यधिक रोगजनक एवियन इंफ्लूएंज़ा (Highly Pathogenic Avian Influenza- HPAI) ए (H5N1) वायरस मुख्य रूप से पक्षियों में पाया जाता है जो उनके लिये अत्यधिक संक्रामक होता है।HPAI एशियन H5N1 विशेष रूप से मुर्गी पालन उद्योग हेतु एक घातक वायरस है ।
भारत में कब, किस राज्य में हुईं बर्ड फ्लू की घटनाएं:-
भारत में पहली बार H5N1 वायरस ने फरवरी 2005 में महाराष्ट्र और गुजरात में तांडव मचाया था। दूसरी घटना मार्च 2006 में मध्य प्रदेश में सामने आई थी। तब से देश के अलग-अलग हिस्सों में बर्ड फ्लू की छिटपुट घटनाएं सामने आती रही हैं। इनमें 2007 में मणिपुर और 2008 में पश्चिम बंगाल की घटनाएं शामिल हैं। 2016 में दिल्ली के चिड़ियाघर, हौज खास के हिरण पार्क और तुगलकाबाद के असोला भट्टी पक्षी विहार में पक्षियों की मौत से हड़कंप मच गया था।

भारत की स्थिति:
वर्ष 2019 में भारत को एवियन इंफ्लूएंज़ा (H5N1) वायरस के संक्रमण से मुक्त घोषित किया गया था, एस संबंध में विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organization for Animal Health) को भी अधिसूचित किया गया था।
यह अवस्था एक अन्य नए प्रकोप की सूचना मिलने तक बनी रहेगी।प्रभाव:
एवियन इंफ्लूएंज़ा के प्रकोप से देश में विशेष रूप से मुर्गी पालन उद्योग में विनाशकारी परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं। इसकी वजह से किसानों को मुर्गी पालन उद्योग में मुर्गियों की उच्च मृत्यु दर (लगभग 50%) का सामना करना पड़ सकता है।
बर्ड फ्लू के लक्षण और पहचान –
एच5एन1 से संक्रमित व्यक्तियों में गंभीर लक्षण विकसित हो सकते हैं। ये वायरस शरीर में घुसने के बाद संक्रमण फैलाने के लिए 2 से 8 दिन का समय लेते हैं कई बार ये 17 दिन तक का समय भी ले लेते हैं। जबकि सीजनल आम फ्लू में किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के 2 या 3 दिन बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं। बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर निम्न संकेत और लक्षण विकसित हो सकते हैं:
1.खांसी (आमतौर पर सूखी खांसी)
2.गले में खराश या कर्कश आवाज
3.तेज बुखार, 38 सेंटीग्रेड (100.4 फारेनहाइट) से ऊपर
4.बंद नाक या नाक बहना
5.हड्डीयों में दर्द
6.जोड़ों में दर्द
7.मांसपेशियों में दर्द, नाक से खून बहना, छाती में दर्द आदि।
बर्ड फ्लू से बचाव –
भारत सरकार ने राज्य सरकारों को ‘एवियन इन्फ्लूएंज़ा की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना 2021’ का अनुसरण करने का निर्देश देकर सही कदम उठाया है।
- यह योजना मुर्गी फार्मों के आस-पास एक जैव सुरक्षा बबल (Biosafety Bubble) बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर देती है, ताकि पालतू पक्षियों को जंगली पक्षियों के निकट संपर्क में आने की संभावना को कम किया जा सके।
यदि आप किसी ऐसे क्षेत्र में यात्रा कर रहें हैं जहां पर बर्ड फ्लू का प्रकोप है, तो इन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुझावों का ध्यान रखें- - हाथों को अच्छी तरह से धोएं: हाथ धोने के लिए शराब आधारित हाथ सेनेटिवेटर का इस्तेमाल करें
अच्छी तरह से कुक: चिकन की तरह अपना खाना पकाने के लिए ठीक से
संक्रमित पक्षियों से संपर्क से बचें: संक्रमित पक्षियों और उनके विच्छेदन या लार से संपर्क न करें
बर्ड फ्लू से संबंधित खतरे:
मनुष्यों के लिये खतरा: H5N1 वायरल स्ट्रेन का पक्षियों से मनुष्यों में फैलने का इतिहास रहा है, परंतु मनुष्यों में बर्ड फ्लू के संक्रमण के मामले बहुत ही असामान्य हैं।
हालाँकि WHO के अनुसार, मनुष्यों में बर्ड फ्लू के मामले “यदा-कदा” ही देखे जाते हैं, परंतु इन मामलों में मृत्यु दर लगभग 60% होती है।
साथ ही इसमें आगे कहा गया है, ऐसी भी संभावनाएँ हैं कि H5N1 उत्परिवर्तित होकर मनुष्यों के बीच एक महामारी का खतरा पैदा कर सकता है।
बर्ड फ्लू की पुनरावृत्ति का कारण:
स्रोत: जंगली पक्षियों को बर्ड फ्लू के वायरस का प्राकृतिक भंडार माना जाता है और प्रवासी पक्षियों के आगमन के मौसम में ऐसे प्रकोप के मामले का सामने आना बहुत ही सामान्य है।
वायरस का प्रवास : ऐसा अनुमान है कि इस वायरस को सुदूर उत्तरी गोलार्द्ध के देशों जैसे- मंगोलिया और कज़ाख्स्तान के प्रवासी पक्षी भारत लाए हैं। बर्ड फ्लू संक्रमण पक्षियों के मल, उनके द्वारा दूषित जल निकायों के माध्यम से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में बर्ड फ्लू की आधे से अधिक घटनाएँ मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) में देखने को मिलती हैं, जो लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को कवर करती हैं। मानव निर्मित कारण: इसके अतिरिक्त WHO का मानना है कि खराब सफाई और स्वच्छता परिस्थितियों में पाॅल्ट्री फार्मिंग की निरंतर वृद्धि वायरस के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायता करती है, ग़ौरतलब है कि ऐसे अधिकांश पाॅल्ट्री फार्म्स में एक ही क्षेत्र में कई अतिसंवेदनशील प्रजातियों को रहना पड़ता है।
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